समर्थ उत्तर प्रदेश विकसित उत्तर प्रदेश/2047-समृधि का शताब्दी पर्व महाभियान

(एन.आई.टी. ब्यूरो), अयोध्या
लखनऊ: 21 अक्टूबर, 2025 समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश /2047-समृधि का शताब्दी पर्व महाभियान के अतर्गत दिनांक 21 अक्टूबर, 2025 तक 75 जनपदों में नोडल अधिकारियों एवं प्रबुद्ध जनों द्वारा भ्रमण कर विभिन्न लक्षित समूहों छात्र, शिक्षक, व्यवसायी, उद्यमी, कृषक, स्वयं सेवी संगठन, श्रमिक संघटन, मीडिया एवं आम जनमानस के साथ विगत 4 वर्षों से प्रदेश की विकास यात्रा के संबंध में जानकारी दी गई तथा विकास हेतु रोड मैप पर चर्चा कर फीडबैक प्राप्त किया गया।
आम जनमानस की राय एवं सुझाव प्राप्त करने हेतु विकसित पोर्टल ेंउंतजीनजजंतचतंकमेीण्नचण्हवअण्पद पर अब तक कुल 48,33,187 फीडबैक प्राप्त हुए हैं. जिनमें से 37,64,702 सुझाव ग्रामीण क्षेत्रों से और 10,65,485 सुझाव नगरीय क्षेत्रों से आए हैं। इनमें 23,43,206 सुझाव आयु वर्ग 31 वर्ष से कम, 22,54,194 सुझाव 31-60 वर्ष के आयु वर्ग, तथा 2,35,787 सुझाव 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग से प्राप्त हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त सुझावों का विवरण निम्न प्रकार है- कृषि-11,74,788. पशुधन एवं डेरी-1,86,035, इंडस्ट्री-1,65,755, आईटी एवं टेक-1,35,835, पर्यटन 1,12,159, ग्रामीण विकास-9,79,368, इन्फ्रा -42,470, संतुलित विकास-71,764, समाज कल्याण 3,69,721, नगरीय एवं स्वास्थ्य-3,38,059, शिक्षा क्षेत्र 11,66,269 तथा सुरक्षा सम्बंधित-90,964 सुझाव मिले हैं। जनपदों के अनुसार फीडबैक में टॉप पांच में जौनपुर (2,22,325), संभल (2,20,326), गाजीपुर (2,06,256), प्रतापगढ़ (1,68,316) और बिजनोर (1,61,449) शामिल हैं। वहीं बॉटम पाँच में इटावा (19,427), महोवा (19,484), हापुर (24,575) बाँदा (24,909), और झॉसी (25,951) से न्यूनतम फीडबैक प्राप्त हुए हैं।
मिर्जापुर श्री अभिजीत कुमार जी का सुझाव है कि ग्रामीण विकास के लिए कई नवाचार अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, स्मार्ट ग्राग टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना की जाए जहाँ इंटरनेट, कंप्यूटर शिक्षा और सरकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध हो। साथ ही ई-गवर्नेस कियोस्क के माध्यम से ग्रामीण आसानी से दस्तावेज़ बना सके और डिजिटल पेमेंट ट्रेनिंग से कैशलेस लेनदेन कर पाएं। दूसरे, सोलर एनर्जी आधारित ग्राम विकसित किए जाएँ, जहाँ सोलर स्ट्रीट लाइट्स, किसानों के लिए सोलर पंपिंग सिस्टम और घरों में सोलर लाइटिंग से बिजली की समस्या दूर हो। तीसरे, ग्रामीण स्टार्टअप्स और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर ऑर्गेनिक खेती, हस्तशिल्प व लोक कला को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए और डेयरी उत्पादों की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हो। चौथे, स्मार्ट हेल्थ केयर समाधान जैसे टेलीमेडिसिन सेवा, मोबाइल हेल्प क्लिनिक वैन और हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम से ग्रामीणों को समय पर चिकित्सा सुविधा और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता मिल सके। यह सभी कदम गाँव की आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाने में सहायक होंगे।


एटा से सुश्री रंजना जी लिखती है कि वर्ष 2047 तक भारत को पर्यावरण के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए आवश्यक है कि हम वृक्षारोपण और वन संरक्षण को प्राथमिकता दें। नदियों और तालाबों को प्रदूषण से मुक्त कर जल संरक्षण की मजबूत व्यवस्था की जाए। ऊर्जा के क्षेत्र में सौर, पवन और बायो-एनर्जी जैसे नवीकरणीय स्रोतों का अधिकतम उपयोग हो और कोयला तथा डीज़ल पर निर्भरता घटाई जाए। प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण को हर स्तर पर लागू किया जाए। शहरों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए जाएँ और उद्योगों को ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए बाध्य किया जाए। सबसे ज़रूरी यह है कि पर्यावरण संरक्षण को शिक्षा और जन-जागरूकता अभियानों का अहम हिस्सा बनाया जाए ताकि हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ व सुरक्षित वातावरण छोड़ सके।
अयोध्या से श्री विकल वर्मा जी के अनुसार कृषि आय बढ़ाने के लिए उन्नतशील बीजों तथा उन्नत तकनीकी दावों का प्रयोग खेती में किया जाए। साथ ही, जो कृषि गोष्ठियाँ प्रायः शहरों में आयोजित होती हैं, वे गांवों में ही संपन्न की जाएं, क्योंकि खेती गांव में होती है, शहर में नहीं। शहर में किसान जा नहीं पाते हैं और जाने में समय तथा धन दोनों खर्च होते हैं। गांव में आयोजन होने पर किसान वैज्ञानिकों से अपनी समस्याएँ व सुझाव अपनी बोली में खुलकर साझा कर सकता है। अतः हमारा सुझाव है कि कृषि गोष्ठियाँ गांवों में आयोजित हों। इसके अतिरिक्त, कृषि विभाग या सरकार द्वारा जो बीज वितरण किया जाता हे, वह बुवाई के पूर्व किसानों को मिले ताकि समय पर बुवाई व समय पर कटाई हो सके। साथ ही, कृषि के साथ बागवानी व डेयरी फार्मिंग को भी बढ़ावा मिलना चाहिए, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इससे जो अवशेष (जैसे गोबर व मूत्र) मिलेंगे, उनसे जीवामृत बनाकर किसान प्राकृतिक खेती की ओर भी अग्रसर हो सकते हैं। जीवामृत किसानों के लिए अत्यंत कारगर साधन है।
इस महाभियान के सम्बन्ध में जनसामान्य को अवगत/जागरूक किये जाने हेतु नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायत, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत, आदि पर विभिन्न बैठकों एवं सम्मेलनों/गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। अभी तक 213 नगर पालिकाओं में बैठकें एवं 215 नगर पालिकाओं में सम्मेलन/गोष्ठियाँ तथा 16 नगर निगमों में बैठकें एवं 15 नगर निगमों में सम्मेलन/गोष्ठियाँ आयोजित की गई हैं। इसी प्रकार 56 जिला पंचायतों में सम्मेलन/गोष्ठियों और 52 जिला पंचायतों में बैठकें 534 नगर पंचायतों में बैठकें और 542 नगर पंचायतों में सम्मेलन/गोष्ठियाँ एवं 713 क्षेत्र पंचायतों में सम्मेलन/गोष्ठियों और 698 क्षेत्र पंचायतों में बेठकें सम्पन्न हुई हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश की 42,666 ग्राम पंचायत्तों के स्तर पर भी बैठकों का सफल आयोजन किया गया है।
इन आयोजनों के माध्यम से स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों एवं संबंधित विभागों के बीच संवाद-सम्पर्क को और अधिक सशक्त किया गया है। माननीय मुख्यमंत्री की विजन समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश /2047ः समृधि का शताब्दी पर्व महाभियान के अनुरूप प्राप्त सुझावों एवं फीडबैक के आधार पर विजन डाक्यूमेंट्स के निर्माण हेतु प्रदेश सरकार द्वारा यह प्रक्रिया निरंतर गतिशीलता के साथ जारी है।
प्रदेश सरकार का यह प्रयास सामूहिक भागीदारी एवं समन्वित विकास को सुनिश्चित करने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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