(एन.आई.टी. ब्यूरो) लखनऊ
लखनऊ : 24 दिसम्बर, 2024 उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने आज चंडीगढ़ स्थित राजभवन में राज्यमंत्री औद्योगिक विकास जसवंत सिंह सैनी के साथ हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट कर माँ गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम तट पर 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होने जा रहे दिव्य, भव्य एवं नव्य महाकुंभ 2025 के लिए सादर आमंत्रित किया।
वहीं प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में जन-जन की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में भव्य रोड शो का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में नागरिकों, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों और सांस्कृतिक समूहों ने भाग लिया। यह रोड शो भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक परम्पराओं और महाकुम्भ के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रभावशाली माध्यम बना।
मंत्री नन्दी ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरक मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हमारी सरकार ने विरासत के साथ विकास के मंत्र को अपनाया है। कुम्भ भारत की समृद्ध विरासत एवं परंपरा का शाश्वत प्रतीक है। महाकुंभ 2025 का आयोजन यात्री सुविधा, सुगमता एवं तकनीकी उच्चता की दृष्टि से अद्वितीय होने जा रहा है। देश दुनिया से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के आतिथ्य एवं उनके अनुभव को यादगार बनाने के लिए संगम नगरी पूर्णतः नए कलेवर में सज कर तैयार है। महाकुंभ 2025 ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त करते हुए भारत की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का अनुपम उत्सव है। हरियाणा की सहभागिता इस आयोजन को और भी गौरवशाली बनाएगी।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी एवं राज्य मंत्री औद्योगिक विकास जसवंत सिंह सैनी ने रोड शो एवं पत्रकार वार्ता के जरिये महाकुम्भ 2025 के महत्व एवं तैयारियों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक मां गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम तट पर प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है। मंत्री नन्दी ने कहा कि यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का अनुपम उत्सव है। हरियाणा की सहभागिता इस आयोजन को और भी गौरवशाली बनाएगी।
उन्होंने बताया कि यह आयोजन न केवल धर्म और संस्कृति को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारतश् की भावना को भी सशक्त करता है। उन्होंने बताया कि महाकुंभ 2025 का यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम होगा, जिसमें लगभग 45 करोड़ तीर्थयात्रियों, साधु-संतों और कल्पवासियों के आने की संभावना है। इसे दिव्य और भव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष तैयारियां की हैं।

उन्होंने बताया कि इस बार महाकुंभ को डिजिटल बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जैसे कि महाकुंभ की वेबसाइट, मोबाइल ऐप और 11 भाषाओं में एआई आधारित चौटबॉट। इसके अलावा, डिजिटल खोया-पाया केंद्र, आईसीटी आधारित निगरानी और गूगल मैप मेंस इंटीग्रेशन जैसे अत्याधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जाएगा।
महाकुंभ 2025 को स्वच्छ, हरित और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक शौचालय, 5,000 यूरिनल और 1,500 गंगा सेवकों की तैनाती की गई है। सिंगल-यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करते हुए मेला क्षेत्र में पर्यावरणीय जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। साथ ही, शहर को हरियाली से भरने के लिए तीन लाख से अधिक पौधों का रोपण किया गया है। सरकार पौधों के संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजना भी है।
महाकुंभ के दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को सात स्तरीय सुरक्षा चक्र में बांटा गया है। सुरक्षा के लिए 2,750 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी प्रणाली से जुड़े होंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए परेड ग्राउंड में 100 बेड का अस्पताल बनाया गया है। इसके अलावा, 10-10 बेड के कई अन्य अस्पताल और आईसीयू की व्यवस्था की गई है। अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की गई है।
महाकुंभ 2025 के माध्यम से प्रयागराज के सांस्कृतिक गौरव को पुनर्जीवित किया जा रहा है। शहर के ऐतिहासिक मंदिरों जैसे नागवासुकी मंदिर, द्वादश माधव मंदिर और अलोपशंकरी मंदिर का जीर्णाद्धार किया गया है। इसके अलावा, अक्षयवट, पातालपुरी और भारद्वाज मंदिर जैसे स्थलों को भी संरक्षित और सुसज्जित किया गया है। पेंट माई सिटी अभियान के तहत शहर को 35 लाख वर्गफुट से अधिक क्षेत्र में वॉल पेंटिंग से सजाया गया है, जिससे प्रयागराज का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व और भी निखर कर सामने आया है।
