आरडीएसओ में प्रेरणादायक व्याख्यान श्रृंखला: ‘प्राचीन भारतीय संस्कृति में निहित ज्ञान और प्रबंधन में नैतिकता का समावेश’

(एन.आई.टी. ब्यूरो) गोविन्द प्रजापति
आरडीएसओ ने अपने सभागार में ‘प्राचीन भारतीय संस्कृति में निहित ज्ञान और प्रबंधन में नैतिकता का समावेश’ विषय पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान के शाश्वत सिद्धांतों और आधुनिक प्रबंधन प्रथाओं में उनकी प्रासंगिकता को उजागर करना था। मुख्य वक्ता इंजीनियर प्रभु नारायण श्रीवास्तव (पूर्व मुख्य अभियंता, यूपीपीसीएल और पूर्व अध्यक्ष, मालवीय मिशन) ने अपनी गहन ज्ञान और अनुभवों के माध्यम से बताया कि प्राचीन भारतीय परंपराओं में निहित नैतिक नेतृत्व और मूल्यों के माध्यम से प्रबंधन और प्रशासन से जुड़ी आधुनिक चुनौतियों का समाधान कैसे किया जा सकता है। “तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर” – गीता के तृतीय अध्याय में निहित निष्काम कर्म योग पर उन्होंने विशेष जोर दिया तथा इसे अच्छे प्रबंधन का मूल मंत्र बताया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान मुख्य कार्मिक अधिकारी /आरडीएसओ श्री अमरनाथ दुबे ने स्वागत भाषण देकर किया एवं आरडीएसओ के वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने इस आयोजन में सक्रिय भागीदारी की, जिससे यह कार्यक्रम संवाद और बौद्धिक समृद्धि का एक प्रभावी मंच बन गया।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *