(एन.आई.टी. ब्यूरो), दिल्ली
श्री शृंगेरी मठ के दिल्ली के वसंत कुंज स्थित आश्रम में 17 से ज्यादा छात्राओं से छेड़छाड़ करने का 64 वर्षीय स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी चैतन्यानंद उर्फ पार्थ सारथी पर पहली बार वर्ष 2009 में मुकदमा दर्ज हुआ था। तब 48 की उम्र में फर्जी पुलिस अफसर बनकर उसने दक्षिण दिल्ली की पॉश डिफेंस कॉलोनी में रहने वाली महिला को फोन करके परेशान किया था। आरोपी के एक महीने तक किए गए टॉचर्र से परेशान महिला बहुत ज्यादा डर गई थी और सदमे में चली गई थी। तब महिला की तहरीर पर दर्ज मुकदमे में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। उस मामले का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।
रात तीन बजे किया था महिला को फोन
दक्षिण जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पता लगा कि आरोपी रात में तीन बजे महिला को फोन कर परेशान करता था। उसने 15 दिसंबर, 2009 को सुबह तीन बजे फोन किया था। महिला की शिकायत पर डिफेंस कॉलोनी थाने में महिला को अपशब्द कहने और उसकी अस्मिता भंग करने की प्राथमिकी (102/2009) दर्ज की गई थी। पुलिस ने तब आरोपी स्वामी को गिरफ्तार किया था। हालांकि जमानती धाराएं होने के कारण उसे थाने से जमानत मिल गई थी।
पुलिस ने खोली एलओसी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की गई थी। उस समय डिफेंस कॉलोनी थाने में तैनात इंस्पेक्टर जेएस मेहता जांच अधिकारी थे। उन्होंने बताया कि इस समय 64 वर्ष का हो चुका अपराधी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और उस पर 15 छात्राओं से छेड़छाड़ और अश्लील बातें करने का आरोप लगा है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एलओसी खोल दी है।
नंबर काटने की धमकी देकर बुलाता था
मठ के वसंतकुंज स्थित इसी आश्रम के इंस्टीट्यूट में पीजीडीएम (प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा) कर रही छात्रा ने वर्ष 2016 में भी आरोपी स्वयंभू के खिलाफ शिकायत दी थी। आरोपी ने ज्यादा नंबर देने की बात कहकर छात्रा को अपने कमरे में बुलाया था। इसके बाद उसके साथ अश्लील हरकत और छेड़छाड़ की थी। वह पहले छात्रा के नंबर काटता था और फिर अपने कमरे में बुलकार छेड़छाड़ करता था। इस मामले में अभी कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।
धाराएं-
75(2)- बीएनएस की इस धारा तहत शारीरिक संपर्क, अश्लील सामग्री दिखाना और यौन संबंधों को मांग करना। इसमें तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है। 79- महिला की अस्मिता भंग करना। इसमें तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है।
351(2)-धमकी देना। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है।
354(3)- झूठी पहचान लगाना।
318(4)- धोखाधड़ी।
336(3) व 340(2)-नकली दस्तावेज व रिकॉर्ड बनाना।देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर “गुरु के वेश में शोषक” की शर्मनाक कहानी सामने आई है। मामला उस आश्रम से जुड़ा है, जहां छात्राओं को शिक्षा और संस्कार देने का दावा किया जाता था, लेकिन उन्हीं छात्राओं के साथ उनके प्रबंधक और खुद को स्वामी बताने वाले शख्स ने लगातार छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें कीं। आरोपी का नाम है स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी, जिसके खिलाफ पहले भी यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज हो चुके हैं। दरअसल, श्री श्रृंगेरी मठ के अधीन चलने वाले दिल्ली के वसंतकुंज इलाके में स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट में पढ़ने वाली एक छात्रा ने साहस दिखाया। कानून की पूर्व छात्रा और फिलहाल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही इस युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसकी शिकायत ने उस गंदी सच्चाई को उजागर कर दिया, जो लंबे समय से संस्थान की दीवारों के पीछे दबाई जा रही थी। पुलिस के अनुसार, आरोपी प्रबंधक छात्राओं को डराता-धमकाता था। उन्हें फेल करने, नंबर कम करने जैसी धमकी देता और जबरन अपने पास बुलवाता। आरोप है कि छात्रावास की तीन वार्डन खुद छात्राओं को उसके पास भेजती थीं। वहीं, फैकल्टी के कुछ लोग भी उसकी मदद कर रहे थे। पीड़ित छात्राओं का कहना है कि चैतन्यानंद उन्हें मोबाइल पर अश्लील संदेश भेजता था। मौका मिलने पर छेड़छाड़ करता और जबरन छूने की कोशिश करता। विरोध करने पर दबाव डालता और करियर बर्बाद करने की धमकी देता। कई छात्राएं मध्यमवर्गीय परिवार से थीं, इसलिए चुपचाप सहती रहीं। मामला तब खुला जब एक छात्रा ने हिम्मत दिखाई और पुलिस से संपर्क किया। यह भी सामने आया कि पार्थ सारथी का विवादों से पुराना नाता है। दक्षिण दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी थाने में वर्ष 2009 और 2016 में उस पर यौन उत्पीड़न के मुकदमे दर्ज हैं। यानी, यह कोई पहला मौका नहीं है जब उसका नाम ऐसे मामलों में आया हो। सवाल यह उठता है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद वह कैसे एक प्रतिष्ठित संस्थान का प्रबंधक बना रहा और छात्राओं पर दबदबा बनाए रखा। छात्राओं की शिकायत के बाद श्रृंगेरी मठ के प्रशासक पी.ए. मुरली ने भी पुलिस को तहरीर दी, जिसमें आरोपी के साथ-साथ कुछ फैकल्टी और प्रशासनिक अधिकारियों का भी जिक्र था। इसके बाद दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस ने जांच शुरू की। लेकिन यहां बड़ा सवाल खड़ा होता है दो महीने की जांच के बावजूद पुलिस अभी तक आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं कर सकी? पुलिस का कहना है कि आरोपी की लोकेशन आगरा (उत्तर प्रदेश) में मिली थी, लेकिन उसके बाद से वह पकड़ में नहीं आया। इस ढुलमुल रवैये ने पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिरकार एक ऐसा शख्स, जिस पर पहले भी केस दर्ज हैं और अब फिर छात्राओं ने खुलकर आरोप लगाए हैं, वह अभी तक कानून की गिरफ्त से बाहर क्यों है? जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, किसी भी छात्रा ने दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया है। सभी ने सिर्फ छेड़छाड़, अश्लील बातें करने और जबरन छूने की कोशिश की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस का कहना है कि मामले की कई कोणों से जांच हो रही है। लेकिन पीड़ित छात्राओं ने यह भी बताया कि उन्हें डराया और धमकाया गया, ताकि उनकी आवाज दबाई जा सके। छात्राओं का कहना है कि आरोपी को फैकल्टी और वार्डन का पूरा सहयोग मिला। आरोप है कि तीनों वार्डन लड़कियों को जबरन आरोपी के पास ले जाती थीं। इस तरह यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि संस्थान की व्यवस्था में मौजूद मिलीभगत का भी है। यह प्रकरण एक बार फिर उस सच्चाई को उजागर करता है कि कैसे धार्मिक या शैक्षिक आवरण में छिपकर कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ साधते हैं। यह समाज और कानून दोनों के लिए चुनौती है।