(एन.आई.टी. ब्यूरो), दिल्ली
मुंबई हमले में शामिल सभी आतंकियों को उसी वक्त मारा गया था। गृह मंत्री ने इस्तीफा दिया था। हमारी जवाबदेही थी देश की जनता के प्रति। देश जवाब चाहता है कि 22 अप्रैल के दिन क्या हुआ और क्यों हुआ। सरकार अपनी पीठ थपथपाती रहती है। संसद में झूठ बोलती है। हम हमले के वक्त एकजुट हुए। देश पर हमला होगा तो हम सभी आपका समर्थन करेंगे। सेना पर हमें गर्व है कि उन्होंने वीरता से लड़ाई लड़ी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय को हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं। ओलंपिक के मेडल का भी श्रेय लेते हैं, लेकिन सिर्फ श्रेय लेने से नहीं होता, जिम्मेदारी भी लेनी होती है। देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि जंग होते-होते ही रुक गई और रुकावट का एलान हमारी सरकार और सेना नहीं करती बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति करते हैं! ये सरकार की गैरजिम्मदेारी है। आज गृह मंत्री ने बताया कि पाकिस्तान के पास शरण में आने के अलावा चारा ही नहीं थी लेकिन आपने शरण दी ही क्यूं? नेहरू गांधी, इंदिरा गांधी ने क्या किया। यहां तक कि मेरी मां के आँसू तक चले गए, लेकिन ये जंग क्यों रुकी इसका जवाब नहीं दिया। मेरी मां के आंसू तब गिरे, जब उनके पति को आतंकवादियों ने शहीद किया। मैं आज पहलगाम हमले के पीड़ितों की बात इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं उनका दर्द समझती हूं। हमारी कूटनीति विफल रही है। तभी पाकिस्तान के जनरल राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बैठकर लंच कर रहे थे। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा क्या प्रधानमंत्री लेंगे? अगर ऑपरेशन सिंदूर में जहाजों का नुकसान नहीं हुआ तो सदन में बताने में क्या हर्ज है? ये सरकार सवालों से बचती है, इसकी राजनीतिक कायरता बेमिसाल है। इनके दिल में जनता के लिए कोई जगह नहीं हैं, सब राजनीति, पीआर और प्रचार है। बहुत समय हो गया बस प्रचार में ही लिप्त हैं। जो पहलगाम में हुआ, उससे हर देशवासी के दिल पर चोट पहुंची है। इसलिए मैं आज यहां खड़े होकर एक आखिरी बात करना चाहती हूं। इस सदन में लगभग सभी के पास सुरक्षा है। हम जहां भी जाते हैं हमें सुरक्षा मिलती है। उस दिन पहलगाम में 26 परिवार उजड़ गए। 26 बेटे, पति, पिता गुजर गए। उनमें से 25 भारतीय थे। जितने भी लोग बैसारण घाटी में थे उनके लिए कोई सुरक्षा नहीं थी। आप कितने भी ऑपरेशन कर डालें आप इस सच्चाई से नहीं छिप सकते।
प्रियंका गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार टीआरएफ को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ‘टीआरएफ ने कई आतंकी हमले किए, लेकिन 2023 में उसे आतंकी संगठन घोषित किया गया। एक संगठन इतना बड़ा हमला करता है और सरकार को पता नहीं चला? हमारी एजेंसियां हैं, इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या किसी ने इस्तीफा दिया? खुफिया विभाग गृह मंत्रालय के तहत आता है, क्या गृह मंत्री ने इसकी जिम्मेदारी ली। इतिहास की बात आप करते हैं, मैं वर्तमान की बात करूंगी। 11 साल से तो आपकी सरकार है, आपकी कोई जिम्मेदारी है कि नहीं।’
लोकसभा में प्रियंका गांधी ने पूछा- पहलगाम हमले की जिम्मेदारी किसकी है?
लोकसभा में प्रियंका गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि सबसे पहले मैं उन सैनिकों, जवानों को नमन करना चाहती हूं, जो दुर्गम क्षेत्रों में हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं। 1948 से लेकर अब तक हमारे देश की अखंडता की रक्षा करने में उनका बड़ा योगदान है। हमारी आजादी अहिंसा के आंदोलन से हासिल हुई, लेकिन उसे कायम रखने में हमारी सेना का बहुत बड़ा योगदान है। कल मैं सदन में सभी के भाषण सुन रही थी। रक्षा मंत्री के भाषण को सुनते हुए एक बात मुझे खटकी कि सारी बातें कर ली। इतिहास का पाठ भी पढ़ा दिया, लेकिन एक बात छूट गई कि 22 अप्रैल 2025 को जब 26 नागरिकों को उनके परिजनों के सामने खुलेआम मारा गया तो ये हमला कैसे हुआ क्यों हुआ?
आतंकी बैसारण घाटी में क्या कर रहे थे? कुछ समय से हमारी सरकार प्रचार कर रही थी कि कश्मीर में शांति है। प्रधानमंत्री ने भी कहा कि वहां अमन चैन और शांति का वातावरण है। इसी बीच कानपुर के नौजवान शुभम द्विवेदी ने तय किया कि वे कश्मीर जाएंगे। छह महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी। 22 अप्रैल 2025 को बैसारण घाटी में मौसम अच्छा था। हर रोज हजारों लोग पहुंचते थे तो उस दिन भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। शुभम अपनी पत्नी के साथ एक स्टॉल पर खड़े थे। तभी चार आतंकी जंगल से निकलते हैं और शुभम को उनकी पत्नी के सामने मार देते हैं। इसके बाद एक घंटे तक लोगों को चुन-चुनकर मारते हैं। शुभम की पत्नी घबराकर वहां से भागती है तो वहां पता चलता है कि तमाम लोग भाग रहे थे। जब एक घंटे तक लोगों को चुन-चुनकर मारा जा रहा था तो उन्हें एक सुरक्षाकर्मी नहीं दिखा। शुभम की पत्नी ने कहा- मैंने अपनी दुनिया को अपनी आंखों के सामने खत्म होते देखा। एक सुरक्षाकर्मी नहीं था। मैं ये कह सकती हूं कि देश ने, सरकार ने हमें वहां पर अनाथ छोड़ दिया। सुरक्षा वहां क्यों नहीं थी? क्या सरकार को मालूम नहीं था कि हजारों लोग वहां जाते हैं। लोग सरकार के भरोसे गए और सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया। ये किसकी जिम्मेदारी किसकी थी?
‘चीन असली खतरा’
अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा कि ‘जिस तरह से हमारी सेना ने मुकाबला किया है। सरकार को ये भी स्वीकार करना होगा कि सीजफायर के बाद भी ड्रोन आ रहे थे। सीजफायर किसके दबाव में किया गया। सीजफायर का एलान सरकार की तरफ से नहीं आया था। सोशल मीडिया से आया था। हमारे देश का क्षेत्रफल 2014 में कितना था और आज कितना है, ये देश को बताया जाना चाहिए। हमारे देश को पाकिस्तान से तो खतरा है ही, लेकिन असली खतरा चीन से है और हमारी चीन से मुकाबले की क्या तैयारी है।’
राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर जानकारी दी
राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने बताया कि ‘ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी वही हैं, जिन्होंने पहलगाम में आतंकी हमला किया। फोरेंसिक जांच से भी पुष्टि हो गई है कि ये तीनों वही आतंकी हैं। ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति का प्रभावी प्रदर्शन था। 22 अप्रैल 2025 को आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी। आतंकियों ने लोगों का धर्म पूछकर लोगों को मारा। सीमापार से आतंकवाद के जरिए भारत को तोड़ने की लगातार कोशिश हो रही। इसके बाद पीएम मोदी ने तीनों सेनाओँ के प्रमुखों के साथ बैठक की और उन्हें भारत के निर्णायक जवाब की पूरी छूट दी ताकि आतंक के आकाओं को स्पष्ट संदेश चला जाए कि भारत कठोर कार्रवाई करेगा और हर उस हद तक जाएगा, जो जरूरी होगा। ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेनाओं हर पहलू पर गहराई से अध्ययन किया। जिसमें आतंकियों को निशाना बनाया जाए और आम नागरिकों को कोई नुकसान न होने पाए। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकी और उनके हैंडलर मारे गए हैं।गृह मंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले को खुफिया विभाग की चूक माना, लेकिन सरकार को ये बताना चाहिए कि ये चूक क्यों हुई? ये सरकार की विफलता है। सांसदों ने कई बार ये सवाल पूछा कि संघर्षविराम किसके कहने पर रोका गया। एक तरफ आजादी का ढिंढोरा पीटा जा रहा है और दूसरी तरफ हमारी संप्रभुता पर हमला हो रहा है। समाजवादी सरकारों ने हमेशा बताया है कि असली चुनौती कहां से मिल रही है। हमारी सीमाओं का अतिक्रमण हो रहा है। पाकिस्तान के पीछे कौन है? हमें चीन से बड़ा खतरा है। सरकार को आर्थिक नीतियों को मजबूत करने पर फोकस करना चाहिए। आर्थिक मामलों में सरकार पूरी तरह से फेल हो रही है। भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। सरकार को अपनी राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक नीतियों पर जरूर पुनरीक्षण करना जरूरी है। पाकिस्तान की सीमा से आतंकवाद का खतरा रहता ही है, लेकिन दूसरी सीमाओं से भी लगातार खतरा है।सत्ता पक्ष के लोगों को मैंने सुना, ये लोग उत्तेजित भाषा में बोल रहे थे। लेकिन ये लोग जनता की उत्तेजना का फायदा उठाते हैं। पहलगाम हमले के वक्त पर्यटक पूछ रहे थे और हम सभी के मन में सवाल था कि पहलगाम में कोई सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं था? जो लोग पहलगाम गए, वो सरकार के भरोसे पर आश्वासन पर गए थे। इस सुरक्षा में चूक की जिम्मेदारी कौन लेगा? हालांकि पूरा देश जानता है कि किसी ये जिम्मेदारी है। हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले लोग सीमाएं सुरक्षित रखते हैं, लेकिन सरकार को जनता को ये बताना चाहिए कि हमारे भारत का क्षेत्रफल क्या है। जो सवाल पर्यटक पूछ रहे थे कि कुछ लोगों को चाकचौबंद सुरक्षा दी जाती है, जो बाद में ठग साबित होते हैं, लेकिन पहलगाम की रक्षा क्यों नहीं की गई?
अखिलेश यादव ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलना शुरू किया
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बोलते हुए भारतीय सेना के पराक्रम की तारीफ की और उन्होंने भारतीय सेना का आभार जताया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी फौज पर गर्व है। जब सेना ने ऑपरेशन शुरू किया तो पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया। न सिर्फ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया और पाकिस्तानी एयरबेस को भी ध्वस्त किया। उस दौरान मीडिया चैनल देखकर लगा कि कराची हमारा हो गया है और लाहौर हमारा हो गया है। ऐसा लग रहा था कि पीओके हमारा हो जाएगा। हालांकि सरकार के इंजन मुझे टकराते दिखते हैं, लेकिन पीओके मामले में सभी इंजन एक दिखते हैं। क्या कारण था कि सरकार पीछे हट गई। हमें उम्मीद थी कि सरकार सीजफायर का एलान करेगी, लेकिन इनकी दोस्ती बहुत गहरी है कि इन्होंने अपने मित्र से कहा कि आप ही सीजफायर का एलान कर दीजिए। डीएमके सांसद कनिमोझी ने ऑपरेशन सिंदूर पर रखी बात गृह मंत्री अमित शाह के बाद डीएमके सांसद कनिमोझी ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलना शुरू किया। कनिमोझी ने कहा कि गृह मंत्री की बातों से लगता है कि हम देशभक्त नहीं है, लेकिन हमने इस देश को कभी असफल नहीं होने दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर सभी दलों ने सरकार का समर्थन किया। आप पंडित नेहरू के बारे में ज्यादा बात करते हैं, उतना तो कांग्रेस भी उनके बारे में नहीं सोचती।
‘आप आतंकियों को वीजा देकर बुलाते थे’
गृह मंत्री ने अपना वक्तव्य समाप्त करते हुए आखिर में कहा कि ‘आप कहते हैं कि आतंकी घुस गए, लेकिन आपके समय में घुसने की जरूरत ही नहीं थी, आप तो वीजा देकर बुलाते थे। पोटा रद्द करने वाले को मोदी जी की आतंक रोधी नीति पसंद नहीं आएगी। मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ हमारी जीरो टोलेरेंस की नीति है और हम विजयी होकर रहेंगे। मैं एक बार फिर सेना और सुरक्षाबलों को उनके पराक्रम के लिए धन्यवाद देता हूं।’